रात भर मैं बुत बनकर बैठा रहा,
रात भर कोई शख़्स याद आता रहा;
आँखे रूठी रही, मैं भी रूठा रहा,
बिना हलचल किए दिल मनाता रहा;
आँखे सोई नहीं कई रात से,
ख्वाब फिर भी तेरा मचल जाता रहा;
भुलाना चाहा तुझे हर पल,हर क्षण,
भूलने के बहाने तू याद आता रहा;
तेरी यादें लुभाये मुझे रात भर,
तेरी तस्वीर जगाए मुझे रात भर;
मैं उलझा रहा, कोनो में बैठा,
तुझे सोच-सोच आँसू बहाता रहा;
रात भर मै बुत बनकर बैठा रहा,
रात भर कोई शख़्स याद आता रहा।
रात भर कोई शख़्स याद आता रहा;
आँखे रूठी रही, मैं भी रूठा रहा,
बिना हलचल किए दिल मनाता रहा;
आँखे सोई नहीं कई रात से,
ख्वाब फिर भी तेरा मचल जाता रहा;
भुलाना चाहा तुझे हर पल,हर क्षण,
भूलने के बहाने तू याद आता रहा;
तेरी यादें लुभाये मुझे रात भर,
तेरी तस्वीर जगाए मुझे रात भर;
मैं उलझा रहा, कोनो में बैठा,
तुझे सोच-सोच आँसू बहाता रहा;
रात भर मै बुत बनकर बैठा रहा,
रात भर कोई शख़्स याद आता रहा।
बहुत खूब ... दिल को छूते हुए शेर ...लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंthank a lot
हटाएंReally ur writings r emproving day by day... kerp it up👍👍
जवाब देंहटाएंthank you didi
हटाएंBahut accha.....hakikat h he to....
जवाब देंहटाएंHaha accha
हटाएंSuperb. You write pretty well! 😊
जवाब देंहटाएंuttam 👌👌😁😊
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंNice bhai
जवाब देंहटाएंThanks bhai
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