बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

कोई शख़्स

रात भर मैं बुत बनकर बैठा रहा,
रात भर कोई शख़्स याद आता रहा;

आँखे रूठी रही, मैं भी रूठा रहा,
बिना हलचल किए दिल मनाता रहा;

आँखे सोई नहीं कई रात से,
ख्वाब फिर भी तेरा मचल जाता रहा;

भुलाना चाहा तुझे हर पल,हर क्षण,
भूलने के बहाने तू याद आता रहा;

तेरी यादें लुभाये मुझे रात भर,
तेरी तस्वीर जगाए मुझे रात भर;

मैं उलझा रहा, कोनो में बैठा,
तुझे सोच-सोच आँसू बहाता रहा;

रात भर मै बुत बनकर बैठा रहा,
रात भर कोई शख़्स याद आता रहा। 

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब ... दिल को छूते हुए शेर ...लाजवाब ...

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