गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017

हमसफ़र

मेरी आँखों में एक खाव्ब है,
तू मेरी हमसफ़र बने;

तेरी ऊँगली में ऊँगली डाले,
सारी-सारी रात चले;

काली काली सड़के हो,
रोड लाइटे मद्धम हो,
हल्की  हल्की बारिश हो,
तुमसे मिलने की साजिश हो;

फिर तू आकर सीने में,
ऐसे यूं कुछ छूप जाये,
खुदा से एक फरियाद करु,
चलती जिंदगी रुक जाये;

तेरी गोद में सर रख कर,
तेरी जुल्फों से खेलू ,
जो रखा है दिल में जाने कबसे,
सब कुछ तुझसे कह लूँ;

कभी छुपाकर छतरी, 
बारिश में भीग जाऊ,
तेरे पलकों पर जो बूंद गिरे,
अपने होंठो से उसे उठाऊ;

एक ख्वाब अभी बाकी है,
एक छोटा सा घर बनाऊ,
उड़ती हो, फिसलती हो, नदियों से मचलती हो,
पत्तियां जहाँ पहुँचने को मिलो सफर करती हो;

पानी के आईने हो,
मिट्टी का हो घर,
देखने को तेरा चेहरा,
सारी सारी रात भर;.....

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