शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

पहला प्यार

अगर आप आज भी अपनी  10th क्लास के प्यार को  याद करते है, तो ये कविता आपको जरूर पसंद आएगी। 
          
वो आशिकी के दिन थे,
बस प्यार ही जताना था,
वादों की दुनिया थी,
कसमो का जमाना था,
आखों में नमी हो फिर भी मुस्कराना था,
आखिर कितना चाहता हूं तुम्हे,
हर पल यही तो बताना था,
वो ख्वाबो की दुनिया में एक आशियाना था,

खुद भी नाराज था,
तुम्हे भी मनाना था,
स्कूल के दिनों में,
वो पिक्चर भी जाना था,
पापा के मोबाइल पर,
तेरे फ़ोन आना था,

सबकुछ पा चुका था,
अब प्यार ही निभाना था,
चाहत की किस्ती में,
बस गीत गुनगुनाना था, 
तेरे जन्मदिन पर वो,
पैसे चुराना था,
आंटी के बाग़ से, 
गुलाब भी लाना था,
पकड़ा गया, तो मंदिर बहाना था,
चाहत के देवी तुम, पंडित खुद को बताना था,

एक बार बुलाऊ, 
तेरा नंगे पॉव आना था,
क्या दिन थे वो ,
क्या वो आशियाना था,
वो दसवी क्लास थी,
क्या क्या बहना था,

फ्यूचर प्लानिंग का डिस्कशन रोज दोहराना था,
एक बात दिल में थी, सबसे उसे छुपाना था,
भाभी दिखी थी कल, दोस्तों का चिढाना था,
फिर दिल में खुश होकर, उन्हें हड़काना था,
बस फ्रेंड है यार, यही गीत गाना था,

अब तुम नहीं हो साथ हमारे,
बस तुम्हारी याद है,
क्या मैं भी तुमको याद हूँ,
जैसे तू मुझको याद है,
तेरा वास्ता नहीं रहा मुझसे अब ,
तेरे साथ का जो वक़्त था तन्हा ही गुजरता है,
तेरी तस्वीर अब भी रखी है पर्स में,
तेरी याद जब भी आती है,बस दिल जलता है,
सबके सामने हसता हूं, तेरा नाम सुनकर,
वो चुभने का दर्द मेरा दिल कितना सहता है,

खैर तू खुश है शायद मेरे बिना भी,
पर तू आएगी जरूर एक दिन,
ये मेरा दिल कहता है,..

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