मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

याद आती हो क्यूँ ?


भू लना चाहता हूँ तुम्हे, 
अब याद आती हो क्यूँ ?
कभी पलके झुका कर,
कभी ख्वाबो में आकर,
मुझे नींदों से उठाकर,
तड़पाती हो क्यूँ ?
तुम, मुझे बार बार याद आती हो क्यूँ?

रोज सोचता हूँ,
भुला दूँ  तुम्हे,
रोज-रोज ये बात ,
भुला जाती हो क्यूँ ?
दिल भी अड़ चुका है बच्चा बनकर ,
कहता है की पूरा आसमां दो मुझे,
टुकड़ो में धूप देकर जलाती हो क्यूँ ?
तुम, मुझे बार बार याद आती हो क्यूँ?
                                                                                                                                                                 
जब किया था साथ चलने का वादा तुमने,
तो भीड़ में हाथ अपना छुड़ाती हो क्यूँ ?
कभी बनती हो आंसू ,
फिर छाती हो पलकों पर,
फिर पलकों से यूं छलक जाती हो क्यूँ ?
तुम, मुझे बार बार याद आती हो क्यूँ ?

नहीँ भुला सकता,
ग़र तुम्हे मालूम  है,
तो यादो की सुइयाँ ,चुभाती हो क्यूँ ,
आओ ना ,अब आ भी जाओ ,
कितना बुलाऊ तुम्हे नहीं आती हो क्यूँ 
तुम, मुझे बार बार याद आती हो क्यूँ ?

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