अब याद आती हो क्यूँ ?
कभी पलके झुका कर,
कभी ख्वाबो में आकर,
मुझे नींदों से उठाकर,
तड़पाती हो क्यूँ ?
तुम, मुझे बार बार याद आती हो क्यूँ?
रोज सोचता हूँ,
भुला दूँ तुम्हे,
भुला दूँ तुम्हे,
रोज-रोज ये बात ,
भुला जाती हो क्यूँ ?
भुला जाती हो क्यूँ ?
दिल भी अड़ चुका है बच्चा बनकर ,
कहता है की पूरा आसमां दो मुझे,
कहता है की पूरा आसमां दो मुझे,
टुकड़ो में धूप देकर जलाती हो क्यूँ ?
तुम, मुझे बार बार याद आती हो क्यूँ?
तुम, मुझे बार बार याद आती हो क्यूँ?
जब किया था साथ चलने का वादा तुमने,
तो भीड़ में हाथ अपना छुड़ाती हो क्यूँ ?
कभी बनती हो आंसू ,
फिर छाती हो पलकों पर,
फिर पलकों से यूं छलक जाती हो क्यूँ ?
तुम, मुझे बार बार याद आती हो क्यूँ ?
नहीँ भुला सकता,
ग़र तुम्हे मालूम है,
तो यादो की सुइयाँ ,चुभाती हो क्यूँ ,
आओ ना ,अब आ भी जाओ ,
कितना बुलाऊ तुम्हे नहीं आती हो क्यूँ
तुम, मुझे बार बार याद आती हो क्यूँ ?
Waha waha....Kya baat h kya baat...👌
जवाब देंहटाएंthank you..
जवाब देंहटाएंBhai jhaanatedaar!!
जवाब देंहटाएंthank you
हटाएं14 feb, 6:07 am �� Well written.
जवाब देंहटाएंthank you
हटाएंBhai bahut hi badhiya....dil chu liya....
जवाब देंहटाएंthanks bhai, likha bhi dil se tha
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