शनिवार, 25 फ़रवरी 2017

समझ लेना तुम्हे प्यार हो गया..

गाने नशे जैसे चढ़ने लगे,
पैर सुरो पर थिरकने लगे,
आईना जब सुन्दर लगने लगे,
ख्वाबो में कोई रोज मिलने लगे,
समझ लेना तुम्हे प्यार हो गया; 

गाली सॉरी में बदलने लगे,
थैंक्यू का रंग चढ़ने लगे,
दोस्त जब बोर लगने लगे,
एसमस रोज रोज पढ़ने लगे,
समझ लेना तुम्हे प्यार हो गया;

बन ठन के घर से निकलने लगे ,
शीशो को देख मुस्कराने लगे,
सुबह शाम मंदिर जाने लगे,
नफरत भी प्यार से जातने लगे,
समझ लेना तुम्हे प्यार हो गया;

एक टाइम में दो क्लेस जाने लगे,
सूखे पत्तो से दर्द जातने लगे,
तकिये को सीने से लगाकर,
शायरी उसको सुनाने लगे,
समझ लेना तुम्हे प्यार हो गया;

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2017

हर हर महादेव

क हाथ में त्रिशूल कठोर,
दूजे हाथ वरदान की सरिता;

सर में जिसके चन्द्रमा साजे,
और गले में काल भुजंगा;

कंठ में जिसके प्रचंड गरल,
और जटा में अमृत गंगा ;

मुस्कान जिसकी सृष्टि की रचना,
और क्रोध प्रलय बाण है;

वो आदि-अनंत, वो आशुतोष ,
वो अखिलेश्वर,वो शिव शंकर है;

बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

कोई शख़्स

रात भर मैं बुत बनकर बैठा रहा,
रात भर कोई शख़्स याद आता रहा;

आँखे रूठी रही, मैं भी रूठा रहा,
बिना हलचल किए दिल मनाता रहा;

आँखे सोई नहीं कई रात से,
ख्वाब फिर भी तेरा मचल जाता रहा;

भुलाना चाहा तुझे हर पल,हर क्षण,
भूलने के बहाने तू याद आता रहा;

तेरी यादें लुभाये मुझे रात भर,
तेरी तस्वीर जगाए मुझे रात भर;

मैं उलझा रहा, कोनो में बैठा,
तुझे सोच-सोच आँसू बहाता रहा;

रात भर मै बुत बनकर बैठा रहा,
रात भर कोई शख़्स याद आता रहा। 

सोमवार, 20 फ़रवरी 2017

गलतियाँ

तुझसे कभी ना मिलू,
वो तेरी गलतियाँ तो याद है;
तुझसे नफरत करु लेकिन,
वो खता नहीं मिलती;

                            जो अच्छे लगे ऐसे,
                            बहुत है, यार यहाँ;
                            पर जैसे तू मुस्कराती थी,
                            वो अदा नही मिलती,

कुछ भी पा सकता हूँ,
वो औहदा है मेरा;
पर तुझे भूल जाऊ जाकर कही,
वो जगह नही मिलती;

शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

मेरी डायरी

ई मुद्दतो से सुना नहीं 
कोई लफ्ज तेरे लबों से,
कलम मेरी अड़ के बैठी है 
की मुझे आगे मत लिखाओ;

डायरी कहती है की 
कोरा रहना मंजूर है,
कहानी अधूरी ही अच्छी है, 
आगे मत बढ़ाओ;
मैं भी उसी की हूँ ,
जिसका दिल है तेरा,
कुछ और लिख कर मुझे,
किसी और का मत बनाओ;

जहाँ का इश्क़ और है, 
तेरी यारी और है,
यक़ीनन बहुत होंगे तेरे अच्छे दोस्त;
पर उनकी बात और है, मेरी कहानी और है;

मेरे दिलोदिमाग पर हुकूमत है तेरी,
तेरी बात और है, तेरी निसानी और है;
चाह कर भी निज़ात मुमकिन नहीं जिससे,
जैसे कब्ज़ा करना और है, तख़्त-ए-सुल्तानी और है;..

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

तू

भी नाम भूल जाऊ,
कभी बात भूल जाऊ,
तुझे सोच कर क़ुछ कहू,
तो अल्फाज भूल जाऊ;

        चाहू कभी जो की,
        तेरी यादों को भूल जाऊ,
        तू जहन  में हस्ती रहे,
        मैं  खुद को भूल जाऊ;

तेरी तस्वीर में यूं खोया हूं,
गुमनाम हो गया हूँ,
तेरा कब्ज़ा है मुझपर,
या मैं गुलाम हो गया हूँ;

बुधवार, 15 फ़रवरी 2017

हुस्न

यूँ तो मेरे एहसास किसी अल्फाज के मोहताज नहीं,


बंद कमरे ली सिसकियां भी मीलो सफ़र करती है,


फिर भी आया हूँ तेरे शहर तुझसे मिलने,


सुना है, तेरे हुस्न के आगे रौशनी, अंधेरो में गुजर करती है;.....

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

याद आती हो क्यूँ ?


भू लना चाहता हूँ तुम्हे, 
अब याद आती हो क्यूँ ?
कभी पलके झुका कर,
कभी ख्वाबो में आकर,
मुझे नींदों से उठाकर,
तड़पाती हो क्यूँ ?
तुम, मुझे बार बार याद आती हो क्यूँ?

रोज सोचता हूँ,
भुला दूँ  तुम्हे,
रोज-रोज ये बात ,
भुला जाती हो क्यूँ ?
दिल भी अड़ चुका है बच्चा बनकर ,
कहता है की पूरा आसमां दो मुझे,
टुकड़ो में धूप देकर जलाती हो क्यूँ ?
तुम, मुझे बार बार याद आती हो क्यूँ?
                                                                                                                                                                 
जब किया था साथ चलने का वादा तुमने,
तो भीड़ में हाथ अपना छुड़ाती हो क्यूँ ?
कभी बनती हो आंसू ,
फिर छाती हो पलकों पर,
फिर पलकों से यूं छलक जाती हो क्यूँ ?
तुम, मुझे बार बार याद आती हो क्यूँ ?

नहीँ भुला सकता,
ग़र तुम्हे मालूम  है,
तो यादो की सुइयाँ ,चुभाती हो क्यूँ ,
आओ ना ,अब आ भी जाओ ,
कितना बुलाऊ तुम्हे नहीं आती हो क्यूँ 
तुम, मुझे बार बार याद आती हो क्यूँ ?

रविवार, 12 फ़रवरी 2017

शब्द

हम जिसे चाहते है , उसको एक बात बोलने से पहले कई बार सोचते है ,की उसे पसंद आएगा या नहीं , कहीं वो बुरा तो नहीं मान जाएगी , कहीं वो दूर तो नहीं हो जाएगी और कभी वो बात बोल नहीं पाते , जो वास्तविक में बोलना चाहते हैं।  हम अक्सर सोचते है , की कुछ ऐसा बोले की वो समझ जाये  की हम  उसे कितना चाहते  है ,पर वो क्या है  हमें पता नहीं होता। 
 यह कविता इसी सन्दर्भ में है ,अगर आपके साथ कभी ये हुआ है , तो  यह कविता आपको जरूर पसंद आएगी। ...

यूं तो मैं एक रसिक कवि हूं,
पर  मैं जो आज बोल रहा हूं,
मेरे जहन में एक दुविधा है,
मैं वो राज खोल रहा हूं;

मैंने इंग्लिश, हिंदी, भोजपुरी,अवधी ,भाषा पढ़ी है,
पर जिस बात पर मेरी जिव्हा अड़ी है,
जिस बात पर मेरी लेखनी कई दिन से मौन है,
और मेरी डायरी पूछ रही की वो कौन है;

कई शब्द लिखे मैंने,
कई शब्द नकार दिए,
कई पन्ने नए उठाये,
कई पन्ने फाड़ दिए;

जो मेरी प्रेमिका है,
और मेरा पहला प्रेम है,
मैं चाहता हूं उसे बताना,
की वो कितनी अहम् है;

मैं आज एक प्रेम पत्र लिख रहा हूं,
इन सब भाषाओ में एक शब्द ढूढ रहा हूं,
जिसमे शामिल मेरे अंतरंग की बात हो,
जिसमे छुपा मेरे मोहब्बत का साथ हो,
जिसमे बयां मेरे इश्क़ की हद हो,
और जिसमे बयां मेरे सारे खत हो;

वो शब्द जो कृष्णा ने राधा से कहा था,
वो शब्द जो हीर ने रांझे से कहा था;

एक शब्द जिसमे न चाँद हो, न दिन हो, न रात हो,
एक शब्द जिसमे सिर्फ उसकी बात हो,
एक शब्द जिसमे उसे एहसास हो,
की ऐ मेरी दिलरुबा ! तुम कितनी ख़ास हो;

आज मैंने प्रेम की सारी किताबे छान ली,
जो ग़ालिब ने कहा, जो मीर ने कहा,
सबकी सुनी, सबकी मान ली,
पर वो अल्फाज कहीं मिलता नहीं;

काश उन किताबो को मजनू ने खुद लिखी होती,
काश कृष्णा ने प्रेम की भी की एक गीता कही होती,
 सोचता हूं रांझे ने खत में क्या लिखा होगा,
अब समझ आता है हीर लिखा होगा,
और बस हीर लिखा होगा;

जब ली करवटें रेत में,तड़फ कर मजनू ने,
महलो में थी लैला,फिर भी न सो सके,
कोरा कागज भी भेजा होगा, हीर ने अगर,
मुमकिन नहीं होगा की राँझा न पढ़ सके;

शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

पहला प्यार

अगर आप आज भी अपनी  10th क्लास के प्यार को  याद करते है, तो ये कविता आपको जरूर पसंद आएगी। 
          
वो आशिकी के दिन थे,
बस प्यार ही जताना था,
वादों की दुनिया थी,
कसमो का जमाना था,
आखों में नमी हो फिर भी मुस्कराना था,
आखिर कितना चाहता हूं तुम्हे,
हर पल यही तो बताना था,
वो ख्वाबो की दुनिया में एक आशियाना था,

खुद भी नाराज था,
तुम्हे भी मनाना था,
स्कूल के दिनों में,
वो पिक्चर भी जाना था,
पापा के मोबाइल पर,
तेरे फ़ोन आना था,

सबकुछ पा चुका था,
अब प्यार ही निभाना था,
चाहत की किस्ती में,
बस गीत गुनगुनाना था, 
तेरे जन्मदिन पर वो,
पैसे चुराना था,
आंटी के बाग़ से, 
गुलाब भी लाना था,
पकड़ा गया, तो मंदिर बहाना था,
चाहत के देवी तुम, पंडित खुद को बताना था,

एक बार बुलाऊ, 
तेरा नंगे पॉव आना था,
क्या दिन थे वो ,
क्या वो आशियाना था,
वो दसवी क्लास थी,
क्या क्या बहना था,

फ्यूचर प्लानिंग का डिस्कशन रोज दोहराना था,
एक बात दिल में थी, सबसे उसे छुपाना था,
भाभी दिखी थी कल, दोस्तों का चिढाना था,
फिर दिल में खुश होकर, उन्हें हड़काना था,
बस फ्रेंड है यार, यही गीत गाना था,

अब तुम नहीं हो साथ हमारे,
बस तुम्हारी याद है,
क्या मैं भी तुमको याद हूँ,
जैसे तू मुझको याद है,
तेरा वास्ता नहीं रहा मुझसे अब ,
तेरे साथ का जो वक़्त था तन्हा ही गुजरता है,
तेरी तस्वीर अब भी रखी है पर्स में,
तेरी याद जब भी आती है,बस दिल जलता है,
सबके सामने हसता हूं, तेरा नाम सुनकर,
वो चुभने का दर्द मेरा दिल कितना सहता है,

खैर तू खुश है शायद मेरे बिना भी,
पर तू आएगी जरूर एक दिन,
ये मेरा दिल कहता है,..

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2017

समझ में क्यों नहीं आता?

हुत नाजुक सा है लम्हा,
बहुत नाजुक है ये रिस्ता,
उस पर हक़ नहीं मेरा,
समझ में क्यों नहीं आता ?

                                ये चाँद जो कल तलक,
                                इतना प्यारा लगता था,
                                ये दाग भी था उसमे,
                                नजर में क्यों नहीं आता ?

ये क्या बच्चो सी ज़िद है,
ये कैसे आंसू आ गए,
इतना नया लिवास है,
कुछ पसंद क्यों नहीं आता ?

                                मेरा दिल टूटा है,
                                मेरा यार रूठा  है,
                                दर्द इतना ज्यादा है,
                                मैं सह क्यों नहीं पाता ?..

गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017

हमसफ़र

मेरी आँखों में एक खाव्ब है,
तू मेरी हमसफ़र बने;

तेरी ऊँगली में ऊँगली डाले,
सारी-सारी रात चले;

काली काली सड़के हो,
रोड लाइटे मद्धम हो,
हल्की  हल्की बारिश हो,
तुमसे मिलने की साजिश हो;

फिर तू आकर सीने में,
ऐसे यूं कुछ छूप जाये,
खुदा से एक फरियाद करु,
चलती जिंदगी रुक जाये;

तेरी गोद में सर रख कर,
तेरी जुल्फों से खेलू ,
जो रखा है दिल में जाने कबसे,
सब कुछ तुझसे कह लूँ;

कभी छुपाकर छतरी, 
बारिश में भीग जाऊ,
तेरे पलकों पर जो बूंद गिरे,
अपने होंठो से उसे उठाऊ;

एक ख्वाब अभी बाकी है,
एक छोटा सा घर बनाऊ,
उड़ती हो, फिसलती हो, नदियों से मचलती हो,
पत्तियां जहाँ पहुँचने को मिलो सफर करती हो;

पानी के आईने हो,
मिट्टी का हो घर,
देखने को तेरा चेहरा,
सारी सारी रात भर;.....

इश्क़

पने दिल को जला कर ख्वाब पालते देखा है,
ये इश्क़ की बिसाद है,
यहाँ मैंने खुदा बदलते देखा है;

मुशाफिर जो इश्क़ के नक्से पर जाता है,
वो छाता लेकर तो जाता है,
मगर भीग जाता है;

सच है की उसे  बारिश में देखना अच्छा लगता है,
बीमार है, मगर कहता है,
मुझे भीगना अच्छा लगता है;

समां को किसी बहाने से छूना अच्छा लगता है,
पर पतंगा जल के कहता है,
मुझे जलना अच्छा लगता है;

किस तलवार पर मुनासिब है मेरी गर्दन बता दो,
इश्क़ करना गुनाह है तो मुझे सजा दो,
यूँ मरने की ख्वाइश आशिक तमाम रखता है;

दोस्त इश्क़ यारियाँ नहीं रखता,
गुलाम रखता है;

बुधवार, 8 फ़रवरी 2017

यादें

तेरी यादे कहू किसको, सब बीता तराना है,

ये दिल मेरा दीवाना है ,ये दिल तेरा दीवाना है,

कई साल गुजरे है तेरा नाम ले ले कर,

कई लोग कहते है की तुझको भूल जाना है,