सोमवार, 6 मार्च 2017

राधा कहे किसे

आप सब यह बात जानते है, की कृष्ण राधा से बहुत प्रेम करते थे लेकिन कंस को मारने के लिए और अपने माता पिता को उसकी कैद से छुड़ाने के लिए उन्हें वृन्दावन से मथुरा जाना पड़ा। कंस को मारने के बाद वो वहाँ के राजा बने। फिर कुछ समय बाद वो द्वारिका चले गए ।वहाँ जाकर उन्होंने रुखमणी से विवाह कर लिया। 
यह कविता कृष्ण और राधा के वियोग की कविता है। 

क साख पर बैठा,
सोचता बस यही,
कोई दिखाई नहीं देता,
की अपना कहे जिसे,
बहुत सुन्दर है मथुरा,
बहुत चाहने वाले लोग,
पर कृष्णा यही सोचे,
की राधा कहे किसे;

कभी कलम उठाये,
तो शब्द भूल जाये,
बाँसुरी उठाये कभी,
तो राग भूल जाये,
होंठ कहे राधा,
और नींद टूट जाये,
लहू आसार बहे आँसू,
और सांस छूट जाये;

तकिये को लगा के सीने से,
चक्रधारी रोयें,
बहुत दर्द है राधा,
तुमसे मिले कैसे,
कितना भारी है मुकुट,
कितना भारी है सुदर्शन,
मैं धीश यहाँ का,
इनसे कहू कैसे;

कितना प्यारा था मोहन,
कितना गैर है राजा,
कहाँ छोटा सा वृन्दावन,
कंहाँ मेरी पहुँच से ज्यादा,
जब मेरी मिट्टी के घर पर भी,
तेरा हक़ था आधा,
तो क्या अब गैर है गिरधारी,
की तुमपर हक़ नही राधा;

तुमसे मिले कैसे,तुमसे कहे कैसे,
दूर तक कोई दिखायी नहीं देता,
की अपना कहे जिसे, की राधा कहे जिसे॥ 

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