शनिवार, 18 मार्च 2017

मुझे आदत है

मुझे आदत है तेरे ख्वाबों की,
अकेले चाँद की,तन्हा रातो की,
अकेले बोलकर फिर,
सुन लेने वाली बातो की,
अकेले सावन की, 
अकेली बरसातों की;

तू कहीं दूर खुश है,
सपनों की लहरों में,
मैं साहिल हूँ,मुझे आदत है,
लहरो के लातों की;

तू भी कभी एक जख्म देने को ही आ,
मुझे आदत है, सहने की,
चोट आते जातो की,
मुझे आदत है,तेरे ख्वाबों की,
मुझे आदत है,तेरी यादों की;

मैं पत्थर था कभी,
अब टूट कर बिखरना चाहता हूँ,
तू मूरत थी प्यार की,
मैं भी संवारना चाहता हूँ; 

किसी बहाने से मुझे
संवारने के लिए आ,
मेरी जिन्दगी, मेरे साथ,
एक पल गुजारने के लिए आ,
मैं जीना चाहता हूँ,
मेरी जिन्दगी की डोर,
संभालने के लिए आ;

तुझे कसम है मेरे प्यार की,
मेरे अनकहे रिश्ते नातों की,
मेरे साथ गुजारे पलों की,
मेरे याद में गुजरी रातों की,
मेरे हर बात की,मेरे साथ की बरसातों की;

मुझे आदत है, तेरी यादों की। 

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