शुक्रवार, 3 मार्च 2017

नकाब

र गम को अमानत समझ कर समेट रखा है,
इस चेहरे पर ख़ुशियों का नकाब लपेट रखा है,


मत देख मेरी आँखों में यूँ, 

ये छलक जाएंगी,

अश्को का इन्होंने,

एक समंदर सोख रखा है,

मेरे जनाज़े पर मत रोना,

मैं ना रहू तो क्या,

तेरी खुशियों की खातिर मैंने,

खुद को ही बेच रखा है;

13 टिप्‍पणियां:

  1. aur kitni tarif krwayega apni... words km pad rhe ab to.. 😜😂 btw ek no. 👌😊

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