एक सवाल है कमाल ही,
मिलता नहीं जवाब भी;
हम थे कभी अपने,
तो अब इतने फासले क्यूँ है,
गर हम अज़नबी थे,
तो फिर ये यादें क्यूँ है;
अगर हम दोस्त थे,
तो हमारा हक़ कहाँ है अब,
गर हम दुश्मन थे,
तो फिर हमें मिटाया क्यूँ नहीं;
अगर इश्क़ था मुझसे,
तो जताना चाहिए था;
गर नफरत थी,
तो बताना चाहिए था।
मिलता नहीं जवाब भी;
हम थे कभी अपने,
तो अब इतने फासले क्यूँ है,
गर हम अज़नबी थे,
तो फिर ये यादें क्यूँ है;
अगर हम दोस्त थे,
तो हमारा हक़ कहाँ है अब,
गर हम दुश्मन थे,
तो फिर हमें मिटाया क्यूँ नहीं;
अगर इश्क़ था मुझसे,
तो जताना चाहिए था;
गर नफरत थी,
तो बताना चाहिए था।
Beautiful 😊👍
जवाब देंहटाएंthanks neelam
हटाएंthanks bhai
जवाब देंहटाएंwaah waah 👌👍😀
जवाब देंहटाएंthanks sonal
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