ये वक़्त है बिखरा हुआ,
दूरियाँ शमशीर सी,
खूबसूरत है नजारे,
और तेरी याद है;
चाँदनी से नहाकर,
लेकर तेरी तस्वीर दिल में,
रात भर तकता हूँ मैं,
इस इश्क़-ए-कुदरत चाँद को,
और खुद से बोलता हूँ,
तू भी यही तकती होगी,
और तेरी जुल्फ अब,
चेहरे से होगी खेलती,
तूने उसे रीझ कर,
हाथों से पीछे झटका होगा;
जब कभी मैं देखता हूँ,
समंदर का गाढ़ा नीला रंग,
एक टक बस देखता हूँ,
तेरी आँखों को लेकर जहन में,
जैसे छुपा लेता है समंदर,
अपने अंतर में संसार की,
ऐसे छुपा लेती थी तू भी,
अपने नैनों में,
मेरे प्यार को;
अक्सर उठकर सुबह बिस्तर से,
मैं दौड़ता हूँ, खिड़की की ओर,
और देखता हूँ, सूरज का वो,
तेरे होठों सा लहू-लाल रंग,
वो क्षितिज की लालिमा,
वो गाल हैं जैसे तेरे,
और सुऱख लाल सूरज,
जैसे तेरा होंठ है;
सुबह-सुबह तैयार होकर,
आईने के सामने,
अपने कॉलर को संभालकर ,
बालों में कंघी डालकर,
अक्सर ख़ुद से बोलता हूँ,
"अच्छे लगते हो ज़नाब",
और हस देता हूँ खुदपर,
की तू होती तो यही कहती;
यदि ये है मेरी कल्पना,
ये चाँद है चेहरा तेरा,ये समंदर तेरी आँखे है,
ये सूरज तेरे लाल होंठ,
ये सच है,तो अच्छा है,ये झूठ है,तो रहने दो,
मेरी हर सांस में, हर धड़कन में,
मेरी उठती गिरती पलकों में,
मेरी जहन में, मेरी बात में,
मेरे दिल में, मेरी याद में,
तू मेरे साथ है,तू मेरे साथ है;
तू मुझसे दूर कहाँ,
इस चाँद का दीदार कर,
मैं बस तेरा हूँ,
इस एहसास का एहसास कर,
अपने दिल पर हाथ रख,
और मुझसे बात कर,
मैं लौट आऊंगा, बस मेरा इंतजार कर,
प्यार कर मेरी जान, मुझे प्यार कर;
प्यार कर मेरी जान, मुझे प्यार कर॥
दूरियाँ शमशीर सी,
खूबसूरत है नजारे,
और तेरी याद है;
चाँदनी से नहाकर,
लेकर तेरी तस्वीर दिल में,
रात भर तकता हूँ मैं,
इस इश्क़-ए-कुदरत चाँद को,
और खुद से बोलता हूँ,
तू भी यही तकती होगी,
और तेरी जुल्फ अब,
चेहरे से होगी खेलती,
तूने उसे रीझ कर,
हाथों से पीछे झटका होगा;
जब कभी मैं देखता हूँ,
समंदर का गाढ़ा नीला रंग,
एक टक बस देखता हूँ,
तेरी आँखों को लेकर जहन में,
जैसे छुपा लेता है समंदर,
अपने अंतर में संसार की,
ऐसे छुपा लेती थी तू भी,
अपने नैनों में,
मेरे प्यार को;
अक्सर उठकर सुबह बिस्तर से,
मैं दौड़ता हूँ, खिड़की की ओर,
और देखता हूँ, सूरज का वो,
तेरे होठों सा लहू-लाल रंग,
वो क्षितिज की लालिमा,
वो गाल हैं जैसे तेरे,
और सुऱख लाल सूरज,
जैसे तेरा होंठ है;
सुबह-सुबह तैयार होकर,
आईने के सामने,
अपने कॉलर को संभालकर ,
बालों में कंघी डालकर,
अक्सर ख़ुद से बोलता हूँ,
"अच्छे लगते हो ज़नाब",
और हस देता हूँ खुदपर,
की तू होती तो यही कहती;
यदि ये है मेरी कल्पना,
ये चाँद है चेहरा तेरा,ये समंदर तेरी आँखे है,
ये सूरज तेरे लाल होंठ,
ये सच है,तो अच्छा है,ये झूठ है,तो रहने दो,
मेरी हर सांस में, हर धड़कन में,
मेरी उठती गिरती पलकों में,
मेरी जहन में, मेरी बात में,
मेरे दिल में, मेरी याद में,
तू मेरे साथ है,तू मेरे साथ है;
तू मुझसे दूर कहाँ,
इस चाँद का दीदार कर,
मैं बस तेरा हूँ,
इस एहसास का एहसास कर,
अपने दिल पर हाथ रख,
और मुझसे बात कर,
मैं लौट आऊंगा, बस मेरा इंतजार कर,
प्यार कर मेरी जान, मुझे प्यार कर;
प्यार कर मेरी जान, मुझे प्यार कर॥