गुरुवार, 18 मई 2017

हिन्दुस्तान

तुम भरत रक्त के वंशज हो,
और दधीचि के महादान,
तुम वेदों के नायक हो,
और चक्रपाणि के गीता-ज्ञान;

तुम साक्षी हो महासमर के,
रामायण के, दसग्रीव मरण के,
तुम साक्षी हो महाप्रलय के,
कुरु वंश के, दुर्योधन के;

तुम जन्मदाता हो, देवताओं के,
चक्रपाणि के,महाकाल के,
जगतजयी महादुर्गा के,
जगतपिता महादेव के;

तुम जन्मदाता हो, योद्धाओं के,
आल्हा-उदल पृथ्वीराज के,
गोरा-बादल महाराणा के,
अशोक और बिन्दुसार के;

तुम जन्मदाता हो महागुरुओं के,
देवगुरु के,परशुराम के,
चाणक्या के, गुरुनानक के,
और गुरुवर श्रीमाली के;

उत्तर में नभचुम्बी चोटी,
और दक्षिण में जलधि महान,
तुम अतुल्य हो, अद्वितीय हो,
तुम गौरवमयी हो हिंदुस्तान;

चारो तरफ थी खुशहाली जहाँ,
पुरे विश्व में था यशगान,
सुर भी जिसको करबद्ध नमन कर,
नित नित करते थे प्रणाम;

९०० वर्ष की दुर्लभ दासता,
और क्षीण हुआ भौतिक मान,
क्षीण हुआ तेरा संचित धन,
"सोने की चिड़या" यह गया नाम; 

पर वाह रे हिन्दुतान,
है तेरे पुत्रो पर अभिमान,
सुखदेव भगत और राजगुरु,
विस्मिल नाना और आज़ाद;

असफाक उल्लाह और लाला लाजपत,
बल्ल्भभाई को प्रणाम;
अदभुत है तेरी गोद,
अदभुत वीरों का वरदान;

उदय हुआ जो अस्त था सूरज,
और चमक आया ललाट,
अपने रक्त से चरण धोकर,
संतानो ने लौटया सम्मान;

भारत मेरी जन्मभूमि है,
मुझे है तुझपर अभिमान,
इसी धरा पर पला बढ़ा मैं,
मैं हिंदुस्तान की संतान; 

तुम विकासशील हो, अलौकिक हो,
तुम आदि और अनन्त बनो,
समा लो खुद में समग्र विश्व को,
भारत विश्वगुरु बनो || 

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