यूँ तो तुझसे की वो,
सारी बात पुरानी होती है,
जाने क्यूँ फिर भी वो
सारी रात सुहानी होती है,
सूरज बूढ़ा होता है,
और रात जवां जब होती है,
आँखों को अपने देता हूँ,
दिल से बातें होती हैं,
आँखे तो रोई होती हैं,
पर अब दिल भी रोता है,
प्यार बिना इस दुनिया में,
जाने क्या क्या होता है ?
रातें काली होती है,
एक चाय की प्याली होती है,
एक भावना उठती है,
हर बात सवाली होती है,
आखिर क्यूँ ऐसा क्यूँ ,
क्या मैं ही बुरा हूँ सबसे ?
रात गुजर गयी बैठा हूँ,
तेरी याद में जाने कबसे,
हर चीज़ का वादा करके,
उसको मांग चुका हूँ रब से,
फिर क्यूँ रूठी बैठी है,
कुछ तो कहे वो लब से,
आज जाके देखा है,
अस्को का सागर कैसा होता है,
क्यूँ आँखे रोती है,
और दिल क्यूँ नहीं रोता है,
दिल नीरस तो तब होता है,
जब सबको ये बात कहानी लगती है,
सुनने में कहते है लोग,
ये बात निराली लगती है,
जब जलता हुआ सूरज,
सागर में जा मिलता है,
सारे फूल झुक जाते है,
दिल का फूल जब खिलता है,
रुठ के जाना मुझसे तेरा,
जब गददारी लगता है,
अब गुजरे की तब गुजरे,
ये पल कितना भारी लगता है,
सावन जब आ जाता है,
बारिश चोटों सी लगती है,
दिल अकेला तो तब होता है,
जब बाहर महफ़िल सजती है,
ये तो ज़मी की फिदरत है,
हर चीज़ को जो वो सूखा देती है,
वरना तेरी याद में रोयें अश्को का,
एक अलग समंदर होता,
आज मै इतना रोऊँगा,
तुझे कोसों दूर रुला दूंगा,
आज तू भी रोयेगी,
और आज मैं तुझको भुला दूंगा ||
सारी बात पुरानी होती है,
जाने क्यूँ फिर भी वो
सारी रात सुहानी होती है,
सूरज बूढ़ा होता है,
और रात जवां जब होती है,
आँखों को अपने देता हूँ,
दिल से बातें होती हैं,
आँखे तो रोई होती हैं,
पर अब दिल भी रोता है,
प्यार बिना इस दुनिया में,
जाने क्या क्या होता है ?
रातें काली होती है,
एक चाय की प्याली होती है,
एक भावना उठती है,
हर बात सवाली होती है,
आखिर क्यूँ ऐसा क्यूँ ,
क्या मैं ही बुरा हूँ सबसे ?
रात गुजर गयी बैठा हूँ,
तेरी याद में जाने कबसे,
हर चीज़ का वादा करके,
उसको मांग चुका हूँ रब से,
फिर क्यूँ रूठी बैठी है,
कुछ तो कहे वो लब से,
आज जाके देखा है,
अस्को का सागर कैसा होता है,
क्यूँ आँखे रोती है,
और दिल क्यूँ नहीं रोता है,
दिल नीरस तो तब होता है,
जब सबको ये बात कहानी लगती है,
सुनने में कहते है लोग,
ये बात निराली लगती है,
जब जलता हुआ सूरज,
सागर में जा मिलता है,
सारे फूल झुक जाते है,
दिल का फूल जब खिलता है,
रुठ के जाना मुझसे तेरा,
जब गददारी लगता है,
अब गुजरे की तब गुजरे,
ये पल कितना भारी लगता है,
सावन जब आ जाता है,
बारिश चोटों सी लगती है,
दिल अकेला तो तब होता है,
जब बाहर महफ़िल सजती है,
ये तो ज़मी की फिदरत है,
हर चीज़ को जो वो सूखा देती है,
वरना तेरी याद में रोयें अश्को का,
एक अलग समंदर होता,
आज मै इतना रोऊँगा,
तुझे कोसों दूर रुला दूंगा,
आज तू भी रोयेगी,
और आज मैं तुझको भुला दूंगा ||